Shardiya Navratri Day 4: बंगाल, गुजरात सहित पूरे भारत में नवरात्रि मनाई जाती है। मां दुर्गा शक्ति, कल्याण, प्रेम, दया और भाव का स्वरूप हैं। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा का पूजन किया जाता है। मां कुष्मांडा देवी दुर्गा के नौ रूपों में से चौथा रूप मानी जाती हैं।
विषय सूची
माता कुष्मांडा का स्वरूप
माता कुष्मांडा का स्वरूप प्रकाशमय, शुभदायिनी, सिद्धिदायिनी तथा दिव्य है। उन्होंने अपनी मंद मुस्कान (कूष्मा) से संपूर्ण ब्रह्मांड (अंड) की रचना की थी। माता ने अपने हाथों में कुम्हड़ा और अमृत कलश धारण किया हुआ है। माना जाता है कि कुष्मांडा मां की पूजा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?
मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त 6 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 7 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगा।
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मां कुष्मांडा की पूजा विधि क्या है?
कुष्मांडा देवी की पूजा विधि के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता की चौकी के चारों ओर गंगाजल का छिड़काव करें।
- अब फूल, अक्षत, चंदन, रोली, चावल, सिंदूर, काजल, तथा माता के श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
- कुष्मांडा माता को जल अर्पण करें।
- अब माता कुष्मांडा की आरती करें और मुख्य मंत्र का जाप मन में करते रहें।
- मां कुष्मांडा की महिमा अपरंपार है। माता की पूजा-अर्चना मन से और पूरी श्रद्धा से करने से सुख, शांति, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
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मां कुष्मांडा का भोग कैसे लगाएं?
जानिए शारदीय नवरात्रि में मां कुष्मांडा का भोग कैसे लगाएं:
- सबसे पहले केले का पत्ता लें।
- फिर दूध, दही, मक्खन आदि का भोग लगाएं।
- आप चाहें तो इसकी जगह साबूदाने की खीर या चावल की खीर का भी भोग लगा सकते हैं।
- साथ ही इलायची, मिश्री, केसर, ड्राई फ्रूट्स और फल भी चढ़ाएं।
मां कुष्मांडा का मंत्र
मां कुष्मांडा का मुख्य मंत्र: ॐ ऐं श्रीं कुष्मांडायै नमः।
इसका अर्थ है: मां कुष्मांडा को प्रणाम।
इसके अतिरिक्त, आप स्तोत्र मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं:
स्तोत्र मंत्र
कुष्मांडा शशिशेखरायै नमोस्तुते,
अष्टभुजायै शुभदायिनी।
तपस्विनी सिद्धिदायिनी,
कुष्मांडा देवी नमोस्तुते।
अर्थ है कि:
हे कुष्मांडा देवी, आपको नमस्कार है।
आप अष्टभुजा (आठ हाथों वाली) हैं और शुभदायिनी हैं।
आप तपस्विनी हैं और सिद्धियों को देने वाली हैं।
आपकी मुद्रा शांति की प्रतीक है।
ध्यान मंत्र
ॐ कुष्मांडायै विद्महे।
अष्टभुजायै धीमहि।
तन्नो कुष्मांडा प्रचोदयात्।
इसका अर्थ है:
हे कुष्मांडा देवी, हम आपको जानते हैं और आपकी स्तुति करते हैं।
आप अष्टभुजा हैं। हमारी बुद्धि को जागृत करें और हमें आपकी शरण में रखें।
FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1: मां कुष्मांडा कौन हैं?
मां कुष्मांडा देवी दुर्गा के नौ रूपों में चौथा रूप हैं। माना जाता है कि उन्होंने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। उनका निवास सूर्य मंडल में होता है और वे अष्टभुजा (आठ हाथों वाली) हैं, जो शक्ति और सिद्धियों का प्रतीक हैं।
Q2: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा क्यों की जाती है?
मां कुष्मांडा की पूजा शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है क्योंकि यह दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप का प्रतीक है। इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
Q3: मां कुष्मांडा का भोग क्या होता है?
मां कुष्मांडा को भोग के रूप में दूध, दही, मक्खन, साबूदाने की खीर या चावल की खीर अर्पित की जाती है। केले के पत्ते पर इलायची, मिश्री, केसर, ड्राई फ्रूट्स और फल भी चढ़ाए जाते हैं।
Q4: मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त 6 अक्टूबर की सुबह 7:49 बजे से शुरू होकर 7 अक्टूबर की सुबह 9:47 बजे समाप्त होगा।
Q5: मां कुष्मांडा का मुख्य मंत्र क्या है?
मां कुष्मांडा का मुख्य मंत्र है: ॐ ऐं श्रीं कुष्मांडायै नमः। इसका अर्थ है मां कुष्मांडा को प्रणाम।
Q6: मां कुष्मांडा की पूजा विधि क्या है?
मां कुष्मांडा की पूजा विधि में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना, गंगाजल का छिड़काव, माता के श्रृंगार का सामान अर्पित करना, जल अर्पण करना और आरती के साथ मुख्य मंत्र का जाप करना शामिल है।
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