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फिक्की द्वारा 9 अक्टूबर 2024 को आयोजित होगा ‘भारत Drone वार्ता – स्वदेशीकरण की दिशा में’ सेमिनार
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) 9 अक्टूबर 2024 को ‘भारत ड्रोन वार्ता – स्वदेशीकरण की दिशा में’ नामक एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन करेगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में ड्रोन तकनीक के विकास को प्रोत्साहित करना और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य करना है। सेमिनार में ड्रोन उद्योग के आर्थिक और तकनीकी पक्षों पर गहन चर्चा की जाएगी।
फिक्की (FICCI) का परिचय
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) भारत का एक अग्रणी और पुराना व्यापारिक संगठन है, जिसकी स्थापना 1927 में की गई थी। यह संगठन भारतीय उद्योग, व्यापार और वाणिज्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से काम करता है, साथ ही इसे सरकार के साथ संवाद स्थापित करने के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान करता है।
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फिक्की विभिन्न क्षेत्रों जैसे विनिर्माण, सेवाएं, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रौद्योगिकी में उद्योगों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। यह उद्योग जगत की चुनौतियों का समाधान खोजने, नीति निर्माण में सहयोग देने, और भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में कार्यरत है। इसके जरिए व्यापार, निवेश, नवाचार और सतत विकास को गति दी जाती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सहायक है।
फिक्की का अंतरराष्ट्रीय व्यापार सहयोग में भी महत्वपूर्ण योगदान है, जो इसे वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाता है। यह संगठन सरकार और उद्योगों के बीच सेतु का काम करता है और विभिन्न सेमिनार, सम्मेलन और कार्यक्रम आयोजित करता है, जहां प्रमुख मुद्दों पर चर्चा कर समाधान तलाशे जाते हैं।
भारत ड्रोन वार्ता
भारत ड्रोन वार्ता एक ऐसा मंच है, जहां ड्रोन तकनीक से जुड़े विविध पहलुओं पर चर्चा की जाती है। इसमें आयोजित होने वाले सेमिनार, सम्मेलन और बैठकें मुख्य रूप से भारतीय ड्रोन उद्योग को सशक्त बनाने, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने, और ड्रोन तकनीक के विभिन्न उपयोग जैसे रक्षा, कृषि, निगरानी और आपदा प्रबंधन में इसके संभावित योगदान पर केंद्रित रहती हैं।
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इस वार्ता का मुख्य लक्ष्य देश में ड्रोन निर्माण को प्रोत्साहित करना, अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देना, और ड्रोन तकनीक के लिए आवश्यक परीक्षण बुनियादी ढांचे का विकास करना है। इसमें विभिन्न उद्योग विशेषज्ञ, नीति निर्माता, सरकारी अधिकारी और अन्य संबंधित क्षेत्र के प्रतिनिधि मिलकर ड्रोन उद्योग की चुनौतियों और अवसरों पर गहन विचार-विमर्श करते हैं।
फिक्की जैसे संगठनों द्वारा आयोजित ‘भारत ड्रोन वार्ता’ जैसे कार्यक्रम, सरकार और उद्योग जगत के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ, नीति सुधारों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच होते हैं, जिससे भारत को ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
मुख्य चर्चा बिंदु
- ड्रोन कंपोनेंट्स का स्वदेशीकरण
भारत की आत्मनिर्भरता के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें इंजन, बैटरी, सेंसर, सॉफ्टवेयर और कैमरों जैसे प्रमुख घटकों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वर्तमान में, अधिकांश इन घटकों का आयात किया जाता है, जिससे स्वदेशीकरण की आवश्यकता उत्पन्न होती है। भारतीय सरकार “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी पहलों के माध्यम से घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित कर रही है, जिसमें प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना का विस्तार, अनुसंधान एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता, और नई नीतियों का समावेश शामिल है।
हाल ही में कई भारतीय कंपनियों, जैसे कि IdeaForge और Garuda Aerospace, ने स्वदेशी ड्रोन निर्माण में तेजी दिखाई है, और रक्षा मंत्रालय ने 200 स्वदेशी ड्रोन खरीदने का निर्णय लिया है। हालांकि, उन्नत तकनीकों की कमी, अनुसंधान में निवेश की आवश्यकता, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियाँ भी सामने हैं। इन प्रयासों से भारत न केवल अपने घरेलू बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। - ड्रोन और काउंटर-ड्रोन के लिए PLI योजना का विस्तार
भारत सरकार ने ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीक के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना का विस्तार देश की रक्षा और सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से किया है। यह योजना 2021 में शुरू हुई, जिसका लक्ष्य ड्रोन उत्पादन को बढ़ावा देकर विदेशी निर्भरता को कम करना था। योजना के विस्तार के तहत काउंटर-ड्रोन तकनीक को भी शामिल किया गया है ताकि संभावित खतरनाक ड्रोन गतिविधियों का मुकाबला किया जा सके।
इसके अंतर्गत कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाते हैं, नवाचार और अनुसंधान पर जोर दिया गया है, और स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित किया गया है। इसका उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना और 2026 तक 500 करोड़ रुपये के उत्पादन लक्ष्य को हासिल करना है, जिससे हजारों रोजगार सृजित होंगे। - ड्रोन क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (R&D) का समर्थन
ड्रोन तकनीक में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे इस क्षेत्र में नए समाधानों और तकनीकों का उदय हो सके। स्टार्टअप्स, उद्यमियों, और नवप्रवर्तकों को सहयोग और संसाधनों तक अधिक पहुंच प्रदान की जा रही है, ताकि वे अत्याधुनिक ड्रोन प्रौद्योगिकी का विकास कर सकें।
इसके तहत, सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही है, जिससे स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा मिले और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति मजबूत हो। यह प्रयास विशेष रूप से सुरक्षा, कृषि, और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में ड्रोन के उपयोग को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक और सामाजिक लाभ सुनिश्चित हो सकें। - टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता
ड्रोन की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश में पर्याप्त परीक्षण ढांचे का विकास बेहद जरूरी है। चर्चा का एक प्रमुख बिंदु यह होगा कि कैसे विश्वस्तरीय परीक्षण सुविधाओं का निर्माण किया जाए ताकि भारतीय ड्रोन उद्योग अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन कर सके। - ड्रोन की सुरक्षा और विनियमों का पालन
ड्रोन के सुरक्षित और नियंत्रित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा मानकों को मजबूत करने और नियमों में सुधार की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया जाएगा। - ड्रोन नीति 2024 और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान
ड्रोन नीति 2024 के तहत स्वदेशी कंपनियों को अधिक अवसर प्रदान करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत उद्योग को सशक्त बनाने के उपायों पर भी विचार-विमर्श होगा। - रक्षा और कृषि क्षेत्रों में ड्रोन का बढ़ता उपयोग
ड्रोन का उपयोग केवल रक्षा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि कृषि, निगरानी, आपदा प्रबंधन और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रहा है। सेमिनार में इन क्षेत्रों में ड्रोन के प्रभावी उपयोग पर चर्चा की जाएगी।
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निष्कर्ष
‘भारत ड्रोन वार्ता – स्वदेशीकरण की दिशा में’ सेमिनार भारतीय ड्रोन उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसमें ड्रोन स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में नीतिगत सुधारों और आवश्यक कदमों पर विचार किया जाएगा, जिससे भारत इस तकनीक में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन सके।
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