Guru Nanak Jayanti 2024: सिख धर्म, जो एक ही ईश्वर में विश्वास करता है, दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में से एक है। इस धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी को याद करने के लिए हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती पूरे भारत और विश्वभर में श्रद्धा और धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है अज्ञानता के अंधकार को दूर करना। आइए जानते हैं कि इस पर्व का महत्व क्या है, और सिख धर्म का मुख्य संदेश क्या है।
विषय सूची
गुरु नानक जयंती तिथि और इतिहास
Guru Nanak Jayanti 2024: कार्तिक मास के पूर्णिमा के दिन हर साल गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। 2024 में, यह तिथि 15 नवंबर की शाम को शुरू होगी और 16 नवंबर को समाप्त होगी। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को रावी नदी के तट पर तलवंडी (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) नामक स्थान पर हुआ था। वे सिख धर्म के संस्थापक थे, जिनके विचार और शिक्षाएं आज भी समाज को नई दिशा और प्रेरणा देती हैं।
गुरु नानक जयंती का महत्व
सिख धर्म में गुरु नानक जयंती का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह दिन गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और उनके संदेशों को याद करने का अवसर है। उनके उपदेश और विचार, जो प्रेम, समानता, और एकता पर आधारित हैं, आज के समाज के लिए भी प्रेरणादायक हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य समाज में सत्य, दया, करुणा, और सेवा की भावना का प्रसार करना है।
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भारत में गुरु नानक जयंती कैसे मनाई जाती है?
भारत और अन्य देशों में गुरु नानक जयंती को हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों को फूलों, रंगीन झंडों और रोशनी से सजाया जाता है। प्रमुख अनुष्ठानों में शामिल हैं:
- संगत और सेवा: गुरुद्वारों में कीर्तन, भजन, और अरदास के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां सिख समुदाय मिलकर गुरु नानक देव के उपदेशों को याद करते हैं।
- लंगर का आयोजन: सभी समुदायों के लिए लंगर (निःशुल्क भोजन) का आयोजन होता है, जो कि सिख धर्म में समानता का प्रतीक है।
- शोभायात्रा: कुछ स्थानों पर गुरु नानक देव जी की शोभायात्रा निकाली जाती है जिसमें धार्मिक झांकी, नाटक, और कीर्तन शामिल होते हैं।
- निशान साहिब फहराना: गुरुद्वारों पर सिख ध्वज, जिसे निशान साहिब कहते हैं, फहराया जाता है।
सिख धर्म का संदेश और गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं
गुरु नानक देव जी ने समाज को अनेक संदेश दिए जो मानवता, प्रेम, और दया के महत्व को दर्शाते हैं:
- एकता और समानता: सिख धर्म में जाति, वर्ग, और रंग के भेदभाव को नहीं माना जाता। गुरु नानक जी का मानना था कि सभी मनुष्य एक हैं और ईश्वर की संतान हैं।
- सत्य और न्याय: सत्य को जीवन का आधार माना गया है। गुरु नानक देव के अनुसार, बिना सत्य के जीवन अधूरा है। उन्होंने ईश्वर को सत्य का प्रतीक माना और कहा कि ईश्वर ही परम सत्य है।
- प्रेम और करुणा: गुरु नानक देव ने प्रेम और करुणा को जीवन का अभिन्न हिस्सा माना। उनका मानना था कि प्रेम के बिना जीवन में सच्ची शांति संभव नहीं है।
- सेवा और समर्थन: गुरु नानक देव जी ने निस्वार्थ सेवा का महत्व बताया और कहा कि सेवा का उद्देश्य केवल दूसरों की मदद करना होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत लाभ।
- आध्यात्मिक विकास: सिख धर्म में आध्यात्मिक विकास के लिए एकता, प्रेम और समर्पण का संदेश दिया गया है। गुरु नानक ने एक ओंकार (एक ईश्वर) की उपासना पर जोर दिया।
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गुरु नानक के अनुसार ईश्वर का स्वरूप
गुरु नानक देव जी के अनुसार, ईश्वर एक ही है, निरंकार और अदृश्य है। उनका मानना था कि ईश्वर की कोई एक निश्चित आकृति या रूप नहीं है, बल्कि वह हर मनुष्य में विद्यमान है। उन्होंने ईश्वर को “सतनाम” के रूप में संबोधित किया, जो कि सत्य का प्रतीक है। उनके विचार में ईश्वर सीमाओं से परे और सभी धर्मों में समान रूप से मौजूद है।
गुरु नानक जयंती के दौरान मनाए जाने वाले अनुष्ठान और परंपराएं
गुरु नानक जयंती के दिन विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान और परंपराओं का पालन किया जाता है, जिनका उद्देश्य समाज में एकता, सेवा, और धार्मिकता को बढ़ावा देना है। कुछ प्रमुख अनुष्ठान इस प्रकार हैं:
- अखंड पाठ: गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है, जो बिना रुके 48 घंटे चलता है।
- निशान साहिब: गुरुद्वारों में सिख ध्वज निशान साहिब को बड़ी धूमधाम से फहराया जाता है।
- लंगर सेवा: इस दिन निस्वार्थ सेवा के रूप में लंगर का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी समुदाय के लोग बिना किसी भेदभाव के साथ भोजन करते हैं।
- शबद कीर्तन: विशेष शबद कीर्तन का आयोजन किया जाता है जिसमें सिख गुरु के भजन और गुरबानी गाए जाते हैं।
- शोभायात्रा: शोभायात्रा में सिख समुदाय के लोग शामिल होते हैं और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।
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FAQs
- गुरु नानक जयंती क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?
- गुरु नानक जयंती सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इसे प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है, जो ज्ञान और सेवा का प्रतीक है। इस दिन गुरु नानक जी के उपदेशों को याद करने का अवसर होता है।
- गुरु नानक जयंती कब मनाई जाती है?
- गुरु नानक जयंती हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली के लगभग 15 दिन बाद आती है।
- 2024 में गुरु नानक जयंती की तारीख क्या है?
- 2024 में गुरु नानक जयंती 15 नवंबर की शाम को शुरू होगी और 16 नवंबर को समाप्त होगी।
- गुरु नानक देव कौन थे?
- गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को ननकाना साहिब (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उन्होंने समाज में प्रेम, समानता, सेवा, और एक ईश्वर में विश्वास का संदेश दिया।
- गुरु नानक जयंती पर लंगर का क्या महत्व है?
- लंगर का आयोजन समाज में समानता का प्रतीक है। इसमें सभी लोग बिना किसी भेदभाव के साथ भोजन करते हैं, जो गुरु नानक जी के समता और सेवा के संदेश को दर्शाता है।
- गुरु नानक देव की शिक्षा का आज के समाज में क्या महत्व है?
- गुरु नानक जी की शिक्षाएं आज भी समाज को प्रेम, करुणा, और समानता का संदेश देती हैं। ये मूल्य सामाजिक समरसता, शांति, और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
निष्कर्ष
गुरु नानक जयंती केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है जब समाज में प्रेम, सेवा और समानता के मूल्यों का प्रचार होता है। सिख धर्म का यह संदेश दुनिया को एकता और शांति का मार्ग दिखाता है। गुरु नानक देव जी के विचार और उपदेश आज भी हमें मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाते हैं, जिससे हम समाज में एक बेहतर बदलाव ला सकें।
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