Christmas Day 2024: 25 दिसंबर को क्रिसमस क्यों मनाते हैं? जानिए क्रिसमस का इतिहास और महत्व

Christmas Day 2024: आपने अपने आस-पास क्रिसमस का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाते हुए देखा होगा। मगर क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस का त्योहार क्यों मनाया जाता है? क्रिसमस डे के पीछे का छिपा हुआ सच क्या है? क्यों हम हर साल 25 दिसंबर को ही क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं?

क्रिसमस किस धर्म का त्योहार है?

Christmas Day 2024: वैसे तो भारत देश तथा विश्व के अलग-अलग शहरों में क्रिसमस को बड़े ही उच्च स्तर पर मनाने की परंपरा चली आ रही है। साथ ही प्रीस्कूल, बोर्डिंग स्कूल, कॉलेज, मॉल, सुपरमार्केट, रेस्टोरेंट, कैफे आदि जैसे बड़े-बड़े स्थानों पर क्रिसमस को लेकर लोगों में उत्साह देखा जाता है। परंतु क्या आपको पता है कि क्रिसमस का त्योहार मुख्य रूप से किस धर्म के लोग मनाते हैं?

Christmas Day 2024
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ईसाई धर्म एकेश्वरवादी होने के साथ-साथ ईसा मसीह के जीवन तथा शिक्षाओं और संदेशों पर चलने वाला धर्म है। क्रिसमस का त्योहार ईसाई धर्म तथा इसके संप्रदायों द्वारा मनाया जाता है। ईसाई धर्म के मुख्य संप्रदाय हैं:

  1. कैथोलिक
  2. प्रोटेस्टेंट
  3. आर्थोडॉक्स
  4. एंग्लिकन
  5. बैप्टिस्ट
  6. लूथरन
  7. पेंटेकोस्टल
  8. मेथोडिस्ट

इन संप्रदायों में से सबसे बड़ा संप्रदाय कैथोलिक रोमन चर्च है, साथ ही आर्थोडॉक्स चर्च सबसे पुराना संप्रदाय है, जो अपने ईसाई धर्म का सबसे प्राचीन होने का दावा करता है। यह संप्रदाय पूर्वी यूरोप तथा मध्य यूरोप में पाया जाता है। प्रोटेस्टेंट सुधार आंदोलन से संबंधित संप्रदाय है। यह ईसाई धर्म का दूसरा और सबसे बड़ा संप्रदाय है, जो कैथोलिकों से अलग होकर प्रोटेस्टेंट संप्रदाय बना था।

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यीशु कौन थे और ईसाई धर्म का इतिहास क्या है?

● प्रारंभिक ईसाई काल (1-33 ईस्वी)
ईसा मसीह जिन्हें जीसस क्राइस्ट, यीशु भी कहा जाता है। यीशु यहूदी आध्यात्मिक नेता, उपदेशक और धर्मगुरु थे। माना जाता है कि ईसा मसीह को परमेश्वर का पुत्र या उद्धारकर्ता कहा जाता है। यीशु का जन्म आज से लगभग 2 हज़ार वर्ष (चौथी ईस्वी) पूर्व हुआ था। जीसस क्राइस्ट ने 28-30 ईस्वी तक सामान्य मानव के रूप में अपना जीवन बिताया। जीसस क्राइस्ट ने धीरे-धीरे शिष्यों को इकट्ठा किया और अपनी शिक्षाओं का आदान-प्रदान करने में जुट गए। लगभग 33 ईस्वी में जीसस क्राइस्ट को क्रूस पर चढ़ा दिया गया था।

Christmas Day 2024
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● प्रारंभिक ईसाई धर्म (33-100 ईस्वी)
प्रारंभिक ईसाई धर्म के दौरान, जीसस क्राइस्ट के शिष्यों ने उनके शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया था। यह वह काल था जब ईसाई धर्म में पेत्रुस, पॉल, और याकूब जैसे नेताओं और यहूदी तत्वों का आगमन होना शुरू हुआ।

● ईसाई धर्म का प्रचार (100-500 ईस्वी)
100-500 ईस्वी के अंतराल में, ईसाई धर्म ने पूरे रोमन साम्राज्य में धीरे-धीरे फैलना शुरू कर दिया।

● ईसाई धर्म का मध्य युग (500-1500 ईस्वी)
ईसाई धर्म मध्य युग तक आते-आते यूरोप समेत कई शहरों में प्रमुख धर्म बन गया, जिसमें कैथोलिक और आर्थोडॉक्स संप्रदाय शामिल थे। इस युग में मुख्य नेता के तौर पर पोप और पैट्रियार्क शामिल थे।

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● सुधार आंदोलन (1500-1700 ईस्वी)
सुधार आंदोलन के दौरान ईसाई धर्म में कई बदलाव हुए और लगभग 1600 ईस्वी में प्रोटेस्टेंट संप्रदाय का उदय हुआ। सुधार आंदोलन में मुख्य रूप से मार्टिन लूथर और जॉन कैल्विन जैसे बड़े नेताओं का समूह था।

● आधुनिक युग से वर्तमान युग (1700-2000 ईस्वी)
ईसाई धर्म में आधुनिकता के आते ही यह जोरों से विश्व के सभी कोनों में फैलने लगा और वर्तमान समय में ईसाई धर्म तेजी से बढ़ रहा है। इस दौरान कई हिंदू और अन्य धर्मों के लोग ईसाई धर्म को अपना चुके हैं, जिसमें कैथोलिक, आर्थोडॉक्स और प्रोटेस्टेंट संप्रदाय शामिल हैं।

ईसाई धर्म का पुनरुत्थान

यीशु के क्रूस पर चढ़ने के बाद कैसे ईसाई धर्म का पुनरुत्थान हुआ, यह कहानी आज भी बाइबल में अंकित है, और यह शिक्षा दुनिया के बड़े देशों में जीवित है।

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ईसाई धर्म का महत्व

● 25 दिसंबर को ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस, यीशु यानी ईसा मसीह के जन्म की याद में मनाया जाता है।
● क्रिसमस का त्योहार प्रेम, क्षमा, दया और करुणा का संदेश देता है।
● 25 दिसंबर को हर साल पूरे विश्व में छुट्टी का दिन होता है। क्रिसमस डे पर सभी लोग अपने बच्चों और परिवारजनों के साथ इस दिन को मनाते हैं।
● इस दिन क्रिसमस ट्री चर्च तथा सभी के घरों में लाया जाता है, लाइटों से सजाया जाता है और गिफ्ट बांटे जाते हैं।

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क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री क्यों लगाया जाता है?

क्रिसमस ट्री को 25 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। ईसाई धर्म में क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री लाना और उसे सजाने की परंपरा बहुत पुरानी है। यह परंपरा लगभग 16वीं शताब्दी के आसपास जर्मनी में शुरू हुई थी। क्रिसमस ट्री निरंतर जीवन जीने और उर्वरता का प्रतीक है।


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Anupma Prasad
Anupma Prasad

मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से डिग्री पाने के कुछ समय बाद इग्नू यूनिवर्सिटी कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएशन इन डिजिटल मीडिया डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन लिया साथ डिजीटल वर्ल्ड में रुचि थी तो कंटेंट राइटिंग की तरफ मन बना लिया फिलहाल सीखने और अधिक जानने का प्रयास कर रही हूं। लिखने के अलावा घूमने, गाने सुनने, बायोग्राफी पढ़ने और नई - नई जगह पर जाने का शोक है 

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