Vishwakarma Puja 2024: हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा को काफी महत्त्व दिया जाता है। श्रमिक, इंजीनियर, कारखानों, फैक्ट्रियों के मालिक और अन्य सभी व्यक्ति विश्वकर्मा पूजा को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन कर्मचारी अपने हथियारों, औजारों की पूजा करते हैं, ताकि भगवान विश्वकर्मा सभी को कार्यों में सफलता दें। तो चलिए दोस्तों, जानते हैं इस साल विश्वकर्मा पूजा 16 या 17 कब पड़ रहा है और इसे कैसे करें?
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विश्वकर्मा पूजा कब और क्यों मनाया जाता है?
भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मदेव के सातवें पुत्र माने जाते हैं। माना जाता है कि सृष्टि को रचने में भगवान विश्वकर्मा जी ने ब्रह्मदेव की सहायता की थी, जिससे सृष्टि पर जीवन चलता रहे और सभी का भरण-पोषण होता रहे। विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी प्रकार के कारीगर, श्रमिक, मजदूर, इंजीनियर, वास्तुकार, ऑफिस कर्मचारी आदि अपने औजारों और मशीनों तथा अपने कार्यस्थल की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की विशेष अनुष्ठान करते हुए प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा हम सभी पर सदैव बनी रहे।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा हमेशा 17 सितंबर को ही मनाई जाती है, परंतु हिंदू शास्त्रों के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा उस दिन मनाई जाती है जब सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए इस बार 16 सितंबर को ही विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी।
इस बार पूजा का शुभ योग सूर्य उदय से लेकर 11:42 तक रहेगा, उसके बाद 11:51 से 12:40 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में की गई पूजा भी शुभ मानी जाती है।
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विश्वकर्मा पूजा की विधि क्या है?
विश्वकर्मा पूजा की विधि: विश्वकर्मा पूजा की विधि बेहद सरल है। सबसे पहले भगवान विश्वकर्मा जी की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें। उसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें तथा फल, पुष्प, अक्षत और मिठाइयाँ चढ़ाएँ, फिर भगवान विश्वकर्मा जी की आरती उतारें। अंत में मंत्रों के उच्चारण और कथा का पाठ करें।
विश्वकर्मा जी का मंत्र क्या है?
वेदांत तथा वैदिक शास्त्रों में मंत्रों को और उनके उच्चारण को बहुत महत्त्व दिया गया है, क्योंकि मंत्र वह साधन है जिसके द्वारा व्यक्ति (मनुष्य) को आध्यात्मिक शक्ति और नई ऊर्जा की प्राप्ति होती है। जब भी आप भगवान विश्वकर्मा की पूजा और आराधना करें, तब गेंदे या गुलमोहर के पुष्प से पूजन करते हुए इस मंत्र का मन में उच्चारण करें-
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वम मम्म देव दे।।
अर्थ: हे विश्वकर्मा भगवान, आप मेरे माता-पिता, बंधु-मित्र और धन-विद्या, सब कुछ आप ही हैं। कृपया मेरी आराधना को स्वीकार करें और मुझे सभी कार्यों में सफलता दें।
इसके अलावा, आप इस मंत्र का भी उच्चारण कर सकते हैं:
विश्वकर्मणे नमस्तुभ्यं विद्यार्थाय धनधान्यसमृद्धयः। रचयित्रे जगतः पितरे प्रसीद प्रसीद मयि कृपया।।
अर्थ: मैं हाथ जोड़कर आपको प्रणाम करता हूँ। आप विद्या और धन के दाता हैं। आप इस पूरी सृष्टि के रचयिता और परम पूज्य पिता हैं। कृपया मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें।
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विश्वकर्मा पूजा का महत्त्व क्या है?
विश्वकर्मा पूजा एक हिंदू त्यौहार है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की श्रद्धापूर्वक आराधना की जाती है। विश्वकर्मा पूजा पर कारखानों, मशीनों और तमाम औजारों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, क्योंकि भगवान विश्वकर्मा जी ही इस विश्व के निर्माता और वास्तुकार माने जाते हैं। ताकि पूरे साल बिना बाधा उत्पन्न किए सभी के काम चलते रहें और सभी का भरण-पोषण होता रहे।
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